मनरेगा ने पूर्ण पारदर्शिता के साथ दीर्घावधि सम्पदा निर्माण करते हुए आजीविका प्रदान करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। कार्यक्रम के अन्तर्गत निर्मित प्रत्येक सम्पदा की भौगोलिक टैगिंग की गई। इसे लिये आईटी/डीबीटी का उपयोग किया गया। मनरेगा के तहत 15 दिनों के अन्दर होने वाले भुगतान में महत्त्वपूर्ण प्रगति हुई है।
2014-15 में यह 26.85 प्रतिशत था जो 2017-18 में बढ़कर 85.75 प्रतिशत हो गया। 2017-18 का कुल परिव्यय 63,887 करोड़ रुपए है, जो 2013-14 में व्यय की गई कुल धनराशि से लगभग 25,000 करोड़ रुपए अधिक है। इसी तरह आजीविका सुरक्षा और दीर्घावधि सम्पदा निर्माण के लिये कृषि तथा अन्य सम्बन्धित क्षेत्रों पर विशेष जोर दिया गया। यह परिव्यय 2013-14 के 48.7 प्रतिशत से बढ़कर इस वर्ष 68.46 प्रतिशत हो गया।
मनरेगा-पूर्ण पारदर्शिता के साथ आजीविका सुरक्षा